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अमित शाह ने वादा निभाया होता तो आज ढ़ाई साल बाद बीजेपी का सीएम होता, इस्तीफे के बाद उद्धव ठाकरे की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे

Image Credit source: (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार शिवसेना भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की. उन्होंने कहा कि शिवसेना को बाहर रख कर तथाकथित शिवसेना का सीएम नहीं बन सकता.

महाराष्ट्र (Maharashtra)के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार शिवसेना भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा कि एकनाथ शिंदे शिवसेना के मुख्यमंत्री नहीं है. मुझसे कोई महाराष्ट्र नहीं छीन सकता. उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए रातों रात खेल किया गया. ये लोग सत्ता छीन सकते हैं, लेकिन मेरे दिल से कभी महाराष्ट्र नहीं निकाल सकते. मैं समर्थकों और मुंबई के लोगों से अपील करता हूं कि वह ऐसा कोई काम न करें, जिससे राज्य या शहर का माहौल खराब हो.

उद्धव ठाकरे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, ‘ मैं पिछले दो-ढाई सालों से फेसबुक लाइव के माध्यम से जनता को संबोधित करता रहा हूं. फेस-टू-फेस काफी वक्त के बाद आपसे बात कर रहा हूं. मेरे पास तीन सवाल हैं. जिस तरह आपने तथाकथित शिवसैनिक को सीएम बनाया, यही तो हम कहते आ रहे थे. गृहमंत्री अमित शाह ने वादा निभाया होता तो आज शिवसेना के मुख्यमंत्री के ढाई साल हो गए होते. आज ये करना नहीं पड़ता.

शिवसेना को बाहर कर, तथाकथित शिवसेना का सीएम नहीं बन सकता

उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘शिवसेना को बाहर रख कर शिवसेना का मुख्यमंत्री नहीं हो सकता.आपकी आंखों के आंसू मेरी ताकत है. सत्ता आती रहेगी, जाती रहेगी, यह खेल चलता रहेगा. लेकिन जिस तरह से तथाकथित शिवसेना का सीएम बनाया गया, अगर वादा निभाया जाता, तो यह सम्मानजनक और शानदार तरीके से होता. अगर बीजेपी ने वादा निभाया होता, मेरी पीठ पर खंजर नहीं घोंपा गया होता तो शानदार तरीके से ढाई साल बाद बीजेपी का मुख्यमंत्री महाराष्ट्र को मिला होता. महा विकास आघाड़ी तैयार ही नहीं हुई होती. अब पांच सालों तक बीजेपी का सीएम महाराष्ट्र को नहीं मिलेगा.’

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उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘जनता का लोकतंत्र से विश्वास उठ रहा है. जनता यह देख रही है कि उनके वोट महाराष्ट्र से सूरत, सूरत से गुवाहाटी और गोवा होते हुए ना जाने कहां-कहां घुम रहे हैं. सत्ता किसी के भी हाथ में रहे, लेकिन लोकतंत्र से जनता का विश्वास नहीं उठना चाहिए. ‘

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‘मुझसे जो नाराजगी है, वो गुस्सा मुंबई पर ना उतारें- पर्यावरण के सवाल पर थोड़ा तो विचारें’

यह दूसरी बात मैं कहना चाहता हूं. मुझसे जो नाराजगी है, वो मुंबई पर मत निकालिए. नाराजगी मुझसे है तो मुझ पर ही वार कीजिए. मुंबई के पर्यावरण से खिलवाड़ मत कीजिए. कांजूरमार्ग में मेट्रो रेलवे के कारशेड बनाए जाने के प्रस्ताव को मत बदलें. कांजूरमार्ग की जगह महाराष्ट्र के हित में इस्तेमाल करें. ढाई साल पहले वादा तोड़ दिए और अब लोगों में गलतफहमियां तैयार की जा रही हैं. नई सरकार महाराष्ट्र की भलाई के लिए सोचे. चारों स्तंभ लोकतंत्र को बचाने के लिए सामने आएं.’

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