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उद्योग जगत ने देश में उत्पादित कच्चे तेल के डीरेगुलेशन का किया स्वागत, कहा फैसले से बढ़ेगा उत्पादन

कच्चे तेल के डीरेगुलेशन का इंडस्ट्री ने किया स्वागत

इस फैसले के बाद ओएनजीसी अपने मुंबई हाई फील्ड से उत्पादित 1.3-1.4 करोड़ टन कच्चे तेल की नीलामी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी समेत किसी भी तेलशोधन कंपनी को कर सकती है.

उद्योग जगत ने घरेलू तेल उत्पादकों को किसी भी भारतीय रिफाइनरी को तेल बेचने की मंजूरी देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल (Cabinet) के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे सरकारी राजस्व बढ़ाने और तेल खोज एवं उत्पादन में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ओएनजीसी और वेदांता जैसी तेल उत्पादक कंपनियों को स्थानीय रूप से उत्पादित कच्चे तेल को किसी भी भारतीय रिफाइनरी को बेचने की अनुमति देने का फैसला किया है. वर्ष 1999 के बाद दिए गए तेल क्षेत्रों के अनुबंधों में तेल उत्पादकों को तेल (Crude) बेचने की स्वतंत्रता दी गई थी लेकिन सरकार ओएनजीसी के मुंबई हाई और वेदांता के रावा जैसे पुराने तेल क्षेत्रों से उत्पादित कच्चे तेल के लिए खरीदार खुद ही तय करती थी. लेकिन इस फैसले से अब यह बंधन हट गया है.

क्या है इंडस्ट्री की राय

वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने इस फैसले को ‘ऐतिहासिक’ करार देते कहा कि भारत के पास हाइड्रोकार्बन का विशाल भंडार है और वह सबसे कम लागत पर तेल और गैस का उत्पादन कर सकता है. इससे वैश्विक मानकों के अनुरूप करों और शुल्कों को तर्कसंगत बनाने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस कदम से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत में अन्वेषण एवं उत्पादन करने और इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए आकर्षित होंगी. अग्रवाल ने कहा कि वेदांता केयर्न ऑयल एंड गैस में हम चार अरब डॉलर का निवेश करने और भारत के घरेलू हाइड्रोकार्बन उत्पादन में 50 प्रतिशत का योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हालांकि उन्होंने इसकी कोई समयसीमा नहीं बताई. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के एक शीर्ष अधिकारी ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार के लिए खरीदारों का फैसला करने का कोई मतलब नहीं है, जब मूल्य निर्धारण पहले ही नियंत्रण मुक्त कर दिया गया था.

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तेल बिक्री में मिली कंपनियों तो आजादी

इस फैसले के बाद ओएनजीसी अपने मुंबई हाई फील्ड से उत्पादित 1.3-1.4 करोड़ टन कच्चे तेल की नीलामी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी समेत किसी भी तेलशोधन कंपनी को कर सकती है. ओएनजीसी को फिलहाल अपना तेल सार्वजनिक क्षेत्र की ही भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) को बेचना पड़ता है. यह अपनी मैंगलोर रिफाइनरी को भी तेल नहीं बेच सकती थी. हालांकि ओएनजीसी गुजरात, असम और पूर्वी तट जैसे अन्य स्थानों से उत्पादित कच्चे तेल की खुली नीलामी कर सकती है. सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) भी ऐसा कर सकती है. वेदांता केयर्न ऑयल एंड गैस को पूर्वी तट में स्थित अपने रावा क्षेत्र से तेल बेचने की आजादी मिलेगी. फिलहाल कंपनी रावा से निकला तेल सिर्फ एचपीसीएल को ही बेचती है. हालांकि फर्म पहले से ही अपने मुख्य राजस्थान क्षेत्रों से निकलने वाला तेल सार्वजनिक एवं निजी दोनों रिफाइनरी को बेचती है।

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