Tue. May 30th, 2023
ऑटो कंपनियों ने की बड़ी लापरवाही, इसलिए सामने आ रहे हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगने के मामले

इलेक्ट्रिक टू-व्‍हीलर की बढ़ती मांग और इस मांग को पूरा करने के लिए ऑटो कंपनियों के बीच मची होड़ ने पूरी इंडस्‍ट्री पर ही सवालिया निशान लगा दिया है.

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बढ़ती मांग और इस मांग को पूरा करने के लिए ऑटो कंपनियों के बीच मची होड़ ने पूरी इंडस्ट्री पर ही सवालिया निशान लगा दिया है. ज्यादा से ज्यादा टू-व्हीलर बनाने और बढ़ती मांग को जल्द से जल्द पूरा करने के चक्कर में ऑटो कंपनियां ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही भूल गईं.

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (E Vehicle) की बढ़ती मांग और इस मांग को पूरा करने के लिए ऑटो कंपनियों (Auto Companies) के बीच मची होड़ ने पूरी इंडस्ट्री पर ही सवालिया निशान लगा दिया है. ज्यादा से ज्यादा टू-व्हीलर (Two Wheeler) बनाने और बढ़ती मांग को जल्द से जल्द पूरा करने के चक्कर में ऑटो कंपनियां ग्राहकों की सुरक्षा (Security) सुनिश्चित करना ही भूल गईं. इसका परिणाम इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने और लोगों की जान चली जाने के रूप में सामने आया. इसके बाद सरकार हरकत में आई और आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए एक जांच समिति का गठन किया.

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने तैयार की रिपोर्ट

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने के कारणों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट को जल्द ही सरकार को सौंपा जाएगा. इस जांच समिति ने बैटरी में सुरक्षा प्रणाली की खामियां पाई हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि EV ऑटो कंपनियों ने व्हीकल सेफ्टी पर ध्यान देने के बजाए मिनिमम फंक्शनेल्टी के साथ उत्पादन बढ़ाने और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए शॉर्टकट अपनाया.

विशेषज्ञ समिति ने अपनी जांच में पाया कि ईवी कंपनियों ने बैटरी के अधिक गर्म होने की पहचान करने और बेकार बैटरी को अलग करने के लिए कोई सिस्टम ही नहीं बनाया है. विशेषज्ञ समिति ने बताया कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स में एनर्जी को कम करने के लिए ओवरहीटेड सेल्स के बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम में भी गंभीर कमियां थीं.

ऑटो कंपनियों ने खराब बैटरी का किया इस्तेमाल

ऑटो कंपनियों ने बैटरी में जिन सेल्स का इस्तेमाल किया था, वे सभी टेस्ट में फेल रहे हैं. अधिकांश मामलों में देखा गया कि कंपनियों ने अपने वाहनों में वेंटिंग मैकेनिज्म का कोई विकल्प नहीं दिया था. इस वजह से वे अत्यधिक गर्म होकर आग पकड़ रहे हैं. ऐसा खराब गुणवत्ता वाले सेल्स के कारण हो रहा है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO ने भी EV दोपहिया बैटरी में खराबी पाई है.

DRDO की जांच से पता चला था कि ये खराबी इसलिए हुई क्योंकि ओकिनावा ऑटोटेक, प्योर ईवी, जितेंद्र इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, ओला इलेक्ट्रिक और बूम मोटर्स जैसे इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माताओं ने लागत में कटौती के लिए निम्न-श्रेणी की बैटरी और सामग्री का इस्तेमाल किया है.

ये भी पढ़ें



(स्टोरी: गगन राव पाटिल)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *