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Nano DAP Patent: पेटेंट मिलने के बाद अब नैनो डीएपी के उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है. बताया गया है कि मार्च 2023 से इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा. नैनो लिक्विड डीएपी किसानों के लिए न सिर्फ किफायती होगी बल्कि इससे उससे उत्पादकता भी बढ़ेगी.
भारत को कृषि क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी मिली है. दुनिया के शीर्ष 300 सहकारिता संस्थानों में पहला स्थान पाने वाली इंडियन फामर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) को नैनो डीएपी का पेटेंट हासिल हुआ है. अब इसके जल्दी उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है. अगले साल तक किसानों को नैनो डीएपी मिलने लगेगी. जो न सिर्फ पारंपरिक डीएपी के मुकाबले किफायती होगी बल्कि यह पर्यावरण अनुकूल और फसलों के लिए बेहतर होगी. नैनो यूरिया के बाद भारत ने नैनो डीएपी (Nano DAP) में भी बाजी मार ली है. जो काम कोई भी देश नहीं कर पाया वो भारत के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया. दुनिया के उर्वरक उद्योग में यह गेम चेंजर प्रोडक्ट साबित होगा. इफको अभी नैनो डीएपी पर ही नहीं रुक रहा है. यह नैनो जिंक और नैनो कॉपर भी विकसित कर रहा है.
नैनो डीएपी कृषि के लिए इनपुट लागत को कम करके भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी. इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने बताया कि 20 साल के लिए पेटेंट मिला है. नैनो डीएपी भी लिक्विड यूरिया की तर्ज पर 500-500 एमएल की बोतल में होगी. यानी अब किसानों को 50 किलो की डीएपी की बोरी की जगह पर सिर्फ 500 एमएल की बोतल मार्केट में आ जाएगी. इससे रखरखाव आसान होगा. ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम होगा. जिसका फायदा किसानों को मिलेगा. नैनो डीएपी को भी इफको के नैनो बायो टेक्नॉलोजी रिसर्च सेंटर ने डेवलप किया है.
कहां कब तक होगा उत्पादन
- गुजरात स्थित इफको की कलोल विस्तार इकाई, कांडला यूनिट और ओडिशा स्थित पारादीप यूनिट में नैनो डीएपी का प्रोडक्शन होगा.
- तीनों यूनिटों में रोजाना 500 एमएल नैनो डीएपी की 2-2 लाख बोतलें तैयार होंगी.
- इफको की कलोल विस्तार यूनिट में मार्च 2023 तक उत्पादन शुरू होगा.
- पारादीप, ओडिशा में जुलाई 2023 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा.
- कांडला, गुजरात में अगस्त 2023 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा.
- इफको डीएपी का फील्ड ट्रायल पूरा हो चुका है. अब इसे फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर से जोड़ा जा रहा है.
3000 करोड़ रुपये का होगा निवेश
नैनो फर्टिलाजर विकसित करने पर करीब 3000 रुपये खर्च किए जाएंगे. जिसमें से 720 करोड़ की रकम आवंटित हो चुकी है. इफको नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और नैनो सूक्ष्म पोषक तत्वों के उत्पादन के लिए आंवला, फूलपुर, कलोल (विस्तार), बंगलुरु, पारादीप, कांडला, देवघर और गुवाहाटी में यूनिट बनाने का काम तेजी से चल रहा है. ताकि किसानों को जल्द से जल्द यह उपलब्ध हो सके.
नैनो उर्वरकों पर इस सफलता का सबसे बड़ा श्रेय नैनो बायोटेक्नालॉजी रिसर्स सेंटर का है. जिसकी स्थापना 2018 में की गई थी ताकि विभिन्न नैनो उर्वरकों पर रिसर्च हो सके.जहां तक नैनो यूरिया की बात है तो देश में पहली बार इसका ऐलान 31 मई 2021 को हुआ था. जबकि उसी साल जून में इसका कॅमर्शियल उत्पादन शुरू हुआ था. तब से अब तक नैनो यूरिया लिक्विड के 3 करोड़ बोतल का उत्पादन हो चुका है.