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क्या कहती है CrPC की धारा 163, जिसमें निहित हैं सबूतों को लेकर प्रलोभन दिए जाने संबंधी बातें

सीआरपीसी पुलिस के लिए हर कदम पर रामबाण साबित होती है.

Image Credit source: फाइल फोटो

सीआरपीसी (CrPC) में कुल 37 चैप्टर हैं. जिनमें कुल 484 धाराएं निहित हैं. इन्हीं पर पूरी दंड प्रक्रिया संहिता का दारोमदार रहता है. जब भी भारत की सीमा में कहीं कोई अपराध घटित होता है तब, दो प्रक्रियाएं कानूनन अमल में लाई जाती हैं.

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure CrPC) और पुलिस के कामकाज का चोली-दामन का साथ है. किसी भी मामले की पड़ताल हो, गवाह या फिर सबूत जुटाने का मुद्दा. हर कदम पर सीआरपीसी पुलिस (Police) के लिए रामबाण साबित होती है. ऐसे में जरूरी है जानना सीआरपीसी की धारा 163 के बारें में कि, आखिर इस धारा के भीतर कौन कौन सी कानूनी बातें निहित हैं. जो समय समय पर पुलिस के काम आती हैं. दरअसल संक्षिप्त में अगर कहा या समझा जाए तो सीआरपीसी की धारा-163में, कोई उत्प्रेरणा (Inducement) नहीं दिया जाना परिभाषिक किया गया है.

दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC 1973) की धारा 163 में किसी तरह के उत्प्रेरणा यानी लोभ-प्रलोभन का ना दिया जाना परिभाषित किया गया है. इस धारा के अंतर्गत परिभाषित है कि…कोई पुलिस अधिकारी या प्राधिकार वाला कोई भी अन्य शख्स भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 (1872 का भाग-1) की धारा-24 में लिखी कोई उत्प्रेरणा, धमकी या वचन ना तो किसी को देगा औ ना ही किसी से करेगा. न दिलवाएगा और न ही किसी और से ऐसा करवाएगा. हां, अगर कोई पुलिस अधिकारी या कोई भी अन्य शख्स इसके तहत किसी जांच के दौरान किसी व्यक्ति को कोई कथन (बयान) करने से, जो वो स्वंत्रतापूर्वक करना चाहे, किसी चेतावनी द्वारा या फिर अन्यथा कहीं नहीं बांटेगा.

CrPC का मतलब ‘कोड ऑफ क्रिमिनल’

दूसरी एक बात और है कि इस धारा की कोई बात धारा-164 की उपधारा (4) के उपबंधों को भी प्रभावित नहीं करेगी. सीआरपीसी 1973 भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन (लागू) के वास्ते ही महत्वपूर्ण कानून है. जोकि सन् 1973 में पारित हुआ था. हालांकि इस कानून को अमल में 1 अप्रैल सन् 1974 को लाया जा सका था. दंड प्रक्रिया संहिता को आम कानून और पुलिसिया बोलचाल की भाषा में सीआरपीसी भी (संक्षिप्त) कहते हैं. जिसका मतलब है कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर, जिसे भारत की मात्रभाषा हिंदी में दंड प्रक्रिया संहिता कहा जाता है.

सीआरपीसी में कुल 37 चैप्टर्स

यहां उल्लेखनीय है कि सीआरपीसी में कुल 37 चैप्टर हैं. जिनमें कुल 484 धाराएं निहित हैं. इन्हीं पर पूरी दंड प्रक्रिया संहिता का दारोमदार रहता है. जब भी भारत की सीमा में कहीं कोई अपराध घटित होता है तब, दो प्रक्रियाएं कानूनन अमल में लाई जाती हैं. पहली का इस्तेमाल जांच एजेंसी द्वारा घटना की पड़ताल में किया जाता है. जो पीड़ित से संबंधित भी होती है. जबकि दूसरी प्रक्रिया आरोपी यानि मुलजिम से संबंधित होती है. इन प्रक्रियाओं का विस्तृत ब्योरा सीआरपीसी में मौजूद है. सीआरपीसी के इतिहास पर अगर नजर डाली जाए तो, इसमें बीते कई दशक में वक्त-वक्त पर जरूरत के मुताबिक, कई छोटे-बड़े बदलाव भी किए जाते रहे हैं.

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