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गैर-समावेशी दृष्टिकोण को CJI  एनवी रमणा ने बताया 'डिजास्टर', बोले-आजादी के 75 साल बाद भी लोग अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझ पाए

सीजेआई एनवी रमणा.

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने इस बात को लेकर निराशा जताई कि आजादी के 75 साल बाद भी लोगों ने संविधान द्वारा प्रत्येक संस्था को दी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को नहीं समझा है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा (CJI NV Ramana) ने शनिवार को चेतावनी देते हुए कहा कि एक गैर-समावेशी दृष्टिकोण आपदा को निमंत्रण देने जैसा है. उन्होंने कहा कि लोगों को मानव विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विभाजनकारी मुद्दों से ऊपर उठना चाहिए. कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को (San Francisco California) में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं. एसोसिएशन ऑफ इंडियन अमेरिकंस इन सैन फ्रांसिस्को यूएसएद्वारा आयोजित एक अभिनंदन समारोह में उन्होंने इस बात को लेकर निराशा जताई कि आजादी के 75 साल बाद भी लोगों ने संविधान द्वारा प्रत्येक संस्था को दी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को नहीं समझा है.

प्रधान न्यायाधीश रमणा ने कहा, ‘हम इस साल आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और देश के गणतंत्र हुए 72 साल हो गए हैं, ऐसे में कुछ अफसोस के साथ मैं यहां कहना चाहूंगा कि हमने संविधान द्वारा प्रत्येक संस्था को प्रदत्त भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को अब तक नहीं समझा है.’ उन्होंने कहा, ‘आम लोगों के बीच इस अज्ञानता को जोर-शोर से बढ़ावा दिए जाने से इन ताकतों को बल मिलता है, जिनका लक्ष्य एकमात्र स्वतंत्र संस्था, जो न्यायपालिका है, की आलोचना करना है. मुझे यह स्पष्ट करने दीजिए कि हम संविधान और सिर्फ संविधान के प्रति उत्तरदायी हैं.’

हमें भारत में संवैधानिक संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है- CJI

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हमें भारत में संवैधानिक संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है. हमें व्यक्तियों और संस्थाओं की भूमिकाओं के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है. लोकतंत्र भागीदारी करने की चीज है.’ प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा, ‘अमेरिका विविधता का सम्मान करता है. इसी कारण आप सब इस देश में पहुंच सके हैं और अपनी कड़ी मेहनत तथा असाधारण कौशल से एक पहचान बनाई है. याद रखें, यह अमेरिकी समाज की असहिष्णुता और समावेशी प्रकृति है, जो विश्व भर से मेधावी लोगों को आकर्षित करने में सक्षम है, जो बदले में अमेरिका की संवृद्धि में योगदान दे रहे हैं.

एक गैर-समावेशी रुख आपदा को निमंत्रण देगा

जस्टिस रमणा ने आगे कहा, ‘समावेशिता समाज में एकता को मजबूत करता है, जो शांति और प्रगति के लिए जरूरी है. हमें खुद को एकजुट करने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, ना कि हमें बांटने वालों पर. 21वीं सदी में हम तुच्छ, संकीर्ण और विभाजनकारी मुद्दों को मानव और सामाजिक संबंधों पर हावी नहीं होने दे सकते. हमें मानव विकास पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए सभी विभाजनकारी मुद्दों से ऊपर उठना होगा. एक गैर-समावेशी रुख आपदा को निमंत्रण देगा.’

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(भाषा से इनपुट के साथ)

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