Tue. May 30th, 2023
ग्रामीण क्षेत्रों में बांस की खेती पर जोर दे रहे हैं किसान, बन रहा स्थायी आमदनी का जरिया

बांस की खेती को किसान स्थायी आमदनी का जरिया बना रहे हैं.

Image Credit source: TV9 (फाइल फोटो)

वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में किसान बांस की खेती कर रहे हैं और यह उनके लिए स्थायी आमदनी का जरिया बन रहा है. सरकार की कोशिशों की मदद भी उन्हें मिल रही है. बंजर जमीन पर बांस उगाकर किसान पारंपरिक फसलों के साथ बांस का उत्पादन कर रहे हैं और खुद को आर्थिक तौर पर सशक्त कर रहे हैं.

आज के समय में किसान (Farmers) खेती के क्षेत्र में नए प्रयोग कर रहे हैं. इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है. सरकार की कोशिशों से कई विकल्प उभरे हैं, जो किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रहे हैं. किसानों को इसी तरह का विकल्प मिला है बांस की खेती (Bamboo Farming) का. वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में किसान बांस की खेती कर रहे हैं और यह उनके लिए स्थायी आमदनी का जरिया बन रहा है. सरकार की कोशिशों की मदद भी उन्हें मिल रही है. बंजर जमीन पर बांस उगाकर किसान पारंपरिक फसलों के साथ बांस का उत्पादन कर रहे हैं और खुद को आर्थिक तौर पर सशक्त कर रहे हैं.

महाराष्ट्र के पुणे जिले के किसान बांस की खेती की तरफ आकर्षित हुए हैं. कम से कम एक हजार किसानों ने बांस की खेती में रुचि दिखाई है. सरकार की मदद से जिले के तीन ब्लॉक में 55 हेक्टेयर बंजर जमीन पर बांस की खेती शुरू हुई. इसमें किसानों को जबरदस्त सफलता मिली है. इसी के बाद से किसानों ने बांस उत्पादन का निर्णय लिया है. पुणे जिले के इन तीनों ब्लॉक में पुणे जिला परिषद दो साल से बांस की खेती में किसानों की मदद कर रहा है.

पौध के साथ किसानों को दिया जाएंगे 200 रुपए

पुणे जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आयुष प्रसाद ने बताया कि हम किसानों को बांस की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. उन्हें पौध से लेकर लॉजिस्टिक्स तक में मदद मुहैया कराई जा रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में आयुष प्रसाद ने कहा कि हमारी योजना जिले के 13 तहसील में 2000 हेक्टेयर भूमि पर बांस की खेती करने की है. लक्ष्य हासिल करने के लिए जिला परिषद महाराष्ट्र बांस विकास बोर्ड से प्रमाणित नर्सरियों से पौध की खरीद करेगा. साथ ही हर तहसील के कृषि अधिकारियों को बांस की खेती के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे किसानों के लिए वर्कशॉप करा सकें और बांस की खेती के फायदों को बता सकें.

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मनरेगा की तहसील विकास पदाधिकारी स्नेहा देव ने बताया कि हम किसानों को पौध के साथ उसके रखरखाव के लिए तीन साल तक प्रत्येक पौध के लिए 200 रुपए देंगे. इसके बाद किसान अगले 70 वर्षों तक इससे कमाई कर सकेंगे. बांस की खेती के लिए जिला परिषद उन तहसील, पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों को चिन्हित कर रहा है, जहां पर किसान मौसमी फसलों की खेती करते हैं. केंद्र सरकार भी अपनी योजनाओं के जरिए देशभर में बांस की खेती को प्रोत्साहित कर रही है. किसानों के हित को देखते हुए बांस से बने उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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