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'मनरेगा' के खिलाफ PM मोदी के बोल सुनकर चौंक था, वो इस योजना की गहराई नहीं समझ पाए', केरल में बोले राहुल गांधी

‘मनरेगा’ पर PM मोदी की टिप्पणी की राहुल गांधी ने की आलोचना

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Rahul Gandhi on MGNREGA: मनरेगा को UPA सरकार की नाकामियों का एक “जीता-जागता स्मारक” बताने को लेकर मोदी की आलोचना करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘पीएम मोदी ने बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार देने वाली इस योजना की गंभीरता को नहीं समझा.’

Rahul Gandhi MGNREGA: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मनरेगा’ वाली टिप्पणी की आलोचना की. केरल दौरे के दूसरे दिन मनरेगा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम मोदी (PM Narendra Modi) की मनरेगा के खिलाफ टिप्पणी ने उन्हें हैरान कर दिया. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा, ‘साल 2015 में लोकसभा में पीएम मोदी ने इस योजना को कांग्रेस की असफलताओं का एक जीवंत स्मारक बताया था. जब मैंने लोकसभा में प्रधानमंत्री को मनरेगा (MGNREGA) के खिलाफ बोलते हुए सुना तो मैं चौंक गया था. उन्होंने इसे UPA की विफलताओं का जीवंत स्मारक बताया था. पीएम ने इस योजना को राजकोष पर एक बोझ भी कहा था. इससे मुझे एहसास हुआ कि प्रधानमंत्री वास्तव में मनरेगा की गहराई को नहीं समझ पाए.’

राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं कोविड के दौरान देख रहा था जब हजारों की संख्या में लोग बेरोज़गार हुए. उस दौरान मनरेगा ने लोगों को बचाया था. पीएम मोदी ने उस समय मनरेगा पर कोई सवाल नहीं उठाया था, क्योंकि यह साफ हो गया था कि जिस योजना को उन्होंने UPA की विफलताओं का जीवंत स्मारक बताया था, उसी योजना ने भारत को कोविड के समय बचाया.’

महामारी में MGNREGA ने निभाई ‘रक्षक की भूमिका’

वायनाड से सांसद राहुल ने कहा, ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) ने कोविड-19 महामारी के दौरान लाखों भारतीयों को बचाने में रक्षक की भूमिका निभाई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी UPA सरकार द्वारा लागू की गई इस योजना द्वारा देश के असहाय लोगों को दी गई राहत और सुरक्षा को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे.

मनरेगा को कांग्रेस नीत UPA सरकार की नाकामियों का एक “जीता-जागता स्मारक” बताने को लेकर मोदी की आलोचना करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘पीएम मोदी ने बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार देने वाली इस योजना की गंभीरता को नहीं समझा और वह नहीं जानते हैं कि इसने (मनरेगा ने) देश के श्रम बाजार को कैसे परिवर्तित कर दिया और कैसे यह लाखों लोगों के लिए अंतिम सहारा बन गया.’

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‘श्रम की गरिमा सुनिश्चित करना है योजना का उद्देश्य’

कांग्रेस नेता ने उस समय को याद किया जब UPA सरकार यह योजना लेकर आई थी. उन्होंने कहा, ‘तब नौकरशाहों और अन्य ने इसे धन की भारी बर्बादी करार देते हुए इसका काफी प्रतिरोध किया था.’ राहुल ने कहा कि लेकिन इस योजना का उद्देश्य गरिमा के साथ देश का निर्माण करना है, राष्ट्र के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अपने लोगों का उपयोग करना और श्रम की गरिमा सुनिश्चित करना है. उन्होंने कहा, ‘इस योजना को हमारे लोगों को बचाने के लिए लाया गया था और किसी तरह से यह धर्मार्थ कार्य नहीं था.’ उन्होंने कहा कि वह संसद में मनरेगा के खिलाफ मोदी को बोलते और इसे UPA सरकार की नाकामियों का “जीता-जागता स्मारक” करार देते हुए सुनकर स्तब्ध हो गए थे.

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