Wed. Mar 29th, 2023
महाराष्ट्र: PM मोदी के मास्टरस्ट्रोक के आगे चारों खाने चित हो गए उद्धव, शिंदे को CM बनाना BJP के लिए कैसे साबित होगा गेमचेंजर

पीएम नरेंद्र मोदी एकनाथ शिंदे सीएम उद्धव ठाकरे

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Maharashtra Political Crisis: बीजेपी और शिवसेना का महाराष्ट्र में नैसर्गिक गठबंधन था लेकिन उद्धव की एंट्री के बाद शिवसेना की महत्वाकांक्षा बढने लगी जबकि कद बीजेपी का बढ़ रहा था लेकिन बात इतनी आगे बढ गई कि उद्धव विरोधियों की बैसाखी से चलने लगे. मगर मोदी के मास्टरस्ट्रोक ने एक बार फिर महाराष्ट्र की सियासत के केद्र बिंदु में बालठाकरे वाली विरासत को ला दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के इस फैसले ने उद्धव ठाकरे की सियासत को जमीन पर ला दिया. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) खुद सीएम बने थे लेकिन मोदी ने हिंदुत्व वाले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को सीएम बनाया. उद्धव ने इस्तीफा देते वक्त कांग्रेस, एनसीपी को थैंक्यू कहा जबकि बीजेपी ने महाराष्ट्र में शिंदे को उद्धव के समानांतर लगाकर खड़ा कर दिया. हिंदुत्व के पुरोधा के तौर पर बालासाहेब की शिवसेना का नया झंडाबरदार बना दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि मोदी और बालासाहेब का रिश्ता खास था. यहां तक कि बालासाहेब वाली शिवसेना के खिलाफ मोदी ने प्रचार तक नहीं किया था.

बीजेपी और शिवसेना का महाराष्ट्र में नैसर्गिक गठबंधन था लेकिन उद्धव की एंट्री के बाद शिवसेना की महत्वाकांक्षा बढने लगी जबकि कद बीजेपी का बढ़ रहा था लेकिन बात इतनी आगे बढ गई कि उद्धव विरोधियों की बैसाखी से चलने लगे. मगर मोदी के मास्टरस्ट्रोक ने एक बार फिर महाराष्ट्र की सियासत के केद्र बिंदु में बालठाकरे वाली विरासत को ला दिया. हिंदुत्व को आगे बढा दिया.

48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में पिछले तीन साल से सियासी उठापठक का दौर जारी है. दो साल सात महीने में इस स्टेट ने तीन मुख्यमंत्री देखे हैं. 23 नवंबर 2019 को देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली थी लेकिन वो सिर्फ 80 घंटे के लिए सीएम रहे. इसके बाद 28 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर बने. उनकी सरकार दो साल सात महीने तक चली लेकिन शिंदे गुट के बागी होने के बाद उद्धव ठाकरे की सरकार अल्पमत में आ गई. उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और अब बीजेपी के सपोर्ट से एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री बन चुके हैं.

फडणवीस पूरे सियासी खेल के सेंटर में रहे

20 जून की आधी रात से शिवसेना के विधायक सूरत पहुंचने लगे थे. अगले दिन से कहा जाने लगा कि देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले सीएम होंगे. सारे दांव पेंच इसी तरह चल रहे थे.पहले दिन से कल देर रात तक फडणवीस पूरे सियासी खेल के सेंटर में रहे. ऐसा लग रहा था कि वो पूरे खेल के सूत्रधार हैं लेकिन दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दिमाग में कुछ और रणनीति चल रही थी. किसी को मोदी और शाह की इस रणनीति की जरा भी भनक नहीं लगी. कोई अंदाजा भी नहीं लगा सका कि पीएम मोदी इस तरह का मास्टरस्ट्रोक खेंलेंगे. हम इसे मोदी का मास्टरस्ट्रोक क्यों कह रहे हैं. इसे समझने के लिए देखिए हमारी रिपोर्ट..

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कुर्सी पर महाट्विस्ट क्यों ?

  • बीजेपी ने ये दांव चलकर उद्धव ठाकरे से 2019 के धोखे का बदला ले लिया है, जब साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बाद शिवसेना ने पलटी मारते हुए कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. अजित पवार को तोड़कर फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें 80 घंटे में ही कुर्सी से उतरना पड़ा. बीजेपी ने तख्तापलट करके वो बदला पूरा कर लिया है लेकिन इस तख्तापलट के बाद फडणवीस को सीएम ना बनाकर पार्टी ने ये संदेश देने की कोशिश की है कि सिर्फ सत्ता पर कब्जा करने के लिए उद्धव की सरकार नहीं गिराई गई है. बीजेपी ने उद्धव ठाकरे और संजय राउत के नैरेटिव को भी फुस्स किया.
  • क्योंकि शिंदे के साथ शिवसेना के 39 विधायकों की बगावत के बाद से उद्धव ठाकरे का खेमा लगातार इस पूरे घटनाक्रम में बीजेपी को विलेन के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा था. पिछले आठ दिनों में बीजेपी पर सत्ता के लालच में बगावत कराने और विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगता रहा. बीजेपी ने एक झटके में इस नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है. यही नहीं बीजेपी महाराष्ट्र में आगे बढ़ने के लिए दो कदम पीछे हटी है. कैसे, इसी भी समझिए. राजनीतिक जानकारों का ये भी कहना है कि फडणवीस ने लंबी छलांग लेने के लिए कुछ कदम पीछे लिए हैं.
  • बीजेपी इस कदम से जनता को ये संदेश देने की कोशिश करेगी कि उसने शिवसेना की सरकार गिराई नहीं है, बल्कि हिंदुत्व के एजेंडे से हट चुके उद्धव गुट को हटाकर बालासाहेब ठाकरे के नक्शेकदम पर आगे बढ़ने वाली शिवसेना को सत्ता में आने में मदद की है. माना जा रहा है कि अगले चुनाव में खासतौर से 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पीएम मोदी और शाह के इस गेम प्लान का डायरेक्ट फायदा मिलेगा.

5 प्वाइंट में समझें देवेंद्र फडणवीस ने क्यों बड़ा त्याग किया?

  1. उद्धव ठाकरे कोई राजनीतिक और भावनात्मक लाभ ना उठा पाएं
  2. एकनाथ शिंदे को सीएम बनाकर मराठा वोटरों को संदेश देना
  3. शिवसेना को मराठा कार्ड खेलने का मौका ना देना
  4. शिवसैनिक को सीएम बनाकर बालासाहब ठाकरे की विरासत पर दावा
  5. शिंदे के जरिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में हुए करप्शन पर चोट करना

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