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1 अगस्त से रेलवे स्टेशनों पर लागू होगा नया नियम, MRP से अधिक पैसे नहीं ले पाएंगे वेंडर, नियम तोड़ने पर लगेगा 1 लाख तक जुर्माना

अगस्त से सभी रेलवे स्टेशनों पर कैशलेस भुगतान की सुविधा लागू होगी.

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रेलवे बोर्ड ने चार साल पहले ट्रेनों में खाद्य सामग्री की बिक्री के लिए डिजिटल भुगतान अनिवार्य कर दिया था. इसमें नो बिल-नो पेमेंट का प्रावधान है. दूसरे चरण में यह व्यवस्था स्टेशनों पर लागू की गई है.

भारतीय रेलवे (Indian Railways) यात्रियों की सुविधा के लिए नए-नए कदम उठाता रहता है. रेलवे बोर्ड ने देश भर के सभी रेलवे स्टेशनों पर 1 अगस्त, 2022 से कैटरिंग कैशलेस पेमेंट (Cashless Payment) करने का फैसला किया है. यानी वेंडर अब रेलवे स्टेशन पर कैटरिंग की बिक्री कैश की जगह डिजिटल तरीके से करेंगे. ऐसा न करने पर 10,000 रुपए से लेकर 1,00,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है. अब वेंडर रेलवे स्टेशनों (Railway Station) पर मिनिमम रिटेल प्राइस (MRP) 15 रुपए के स्थान पर 20 रुपए में बोतलबंद पानी नहीं बेच पाएंगे. इसी तरह, रेल यात्रियों से पूरी-सब्जी के लिए 15 रुपए से अधिक चार्ज नहीं लिया जाएगा. यानी सभी सामान उनको एमआरपी पर बेचना तय किया गया है.

रेलवे बोर्ड ने 19 मई को सभी जोनल रेलवे और आईआरसीटीसी को इस संबंध में निर्देश जारी किए थे. इसमें कहा गया है कि प्लेटफॉर्म पर कैटरिंग समेत सभी स्टॉल सामग्री को डिजिटल तरीके से बेचेंगे. इसके साथ ही रेलवे यात्रियों को कम्प्यूटराइज्ड बिल देगा. डिजिटल भुगतान के लिए विक्रेताओं के पास UPI, Paytm, पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीन और स्वाइप मशीन होना अनिवार्य है.

1 लाख रुपए तक लगेगा जुर्माना

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्टॉल के अलावा ट्रॉली, फूड प्लाजा, रेस्टोरेंट आदि में कैशलेस ट्रांजैक्शन किया जाएगा. डिजिटल पेमेंट सिस्टम नहीं होने पर रेलवे विक्रेताओं पर 10 हजार से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाएगा.

उन्होंने कहा कि रेलवे स्टेशनों पर कैशलेस व्यवस्था लागू होने से वेंडर रेल यात्रियों से निर्धारित मूल्य से अधिक शुल्क नहीं ले सकेंगे. इसके अलावा घटिया खाना, एक्सपायरी डेट के खाने के पैकेट आदि की बिक्री के खिलाफ यात्री लिखित में शिकायत कर सकेंगे.इस समय डिजिटल पेमेंट और बिल के अभाव में यात्री अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा पा रहे हैं. कैशलेस पेमेंट से यात्रियों को सही कीमत पर नेट और ताजा खाना मिलेगा.

एक अनुमान के मुताबिक, 7000 रेलवे स्टेशनों पर 30,000 स्टॉल और और ट्रॉलियां हैं. जबकि आईआरसीटीसी (IRCTC) के 289 बड़े स्टॉल जन आहार, फूड प्लाजा, रेस्टोरेंट रेलवे स्टेशनों पर हैं.

रेलवे बोर्ड ने चार साल पहले ट्रेनों में खाद्य सामग्री की बिक्री के लिए डिजिटल भुगतान अनिवार्य कर दिया था. इसमें नो बिल-नो पेमेंट का प्रावधान है. दूसरे चरण में यह व्यवस्था स्टेशनों पर लागू की गई है.

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रेलवे कैटरिंग लाइसेंसी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवींद्र गुप्ता ने रेलवे बोर्ड के इस फैसले को अव्यवहारिक बताया है. उनका तर्क है कि जहां से ट्रेन चलती है वहां से यह योजना सफल होती है, लेकिन बीच के स्टेशनों पर दो से तीन मिनट के ठहराव के दौरान यह संभव नहीं है. दूरदराज के स्टेशनों पर इंटरनेट नेटवर्क कमजोर है. वहां यात्रियों को डिजिटल पेमेंट में परेशानी आएगी इसलिए कैश सुविधा भी ग्राहक और वेंडर्स के लिए उपलब्ध होनी चाहिए.

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