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Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा दो साल के अंतराल के बाद आज फिर से शुरू हो गई है. भक्तों के लिए इस साल सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. ट्रिपल लेयर सिक्योरिटी की व्यवस्था की गई है.
बाबा बर्फानी से कोविड महामारी (Amarnath Yatra 2022) के कारण दो साल दूर रहने के बाद आखिर इस वर्ष बाबा के भक्तों की प्रार्थना स्वीकार हुई और उन्हें बाबा बर्फानी के दर्शन मिल रहे हैं. अमरनाथ यात्रा पर पहुंचे भक्तों के अनुसार, वह इस पल का इंतजार कर रहे थे और बाबा से यही प्रार्थना कर रहे थे कि बाबा उन्हें इस वर्ष जरूर अपने दर्शन देकर उनके दिलों की ख्वाहिश पूरी करें. इस वर्ष कोविड महामारी (Amarnath Yatra Security Arrangements) के मामलों में कमी के चलते ऐसा संभव हो पाया है. भक्तों के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था पिछले कई वर्षों की तुलना में बहुत अच्छी है और यह व्यवस्था देख उन्हें जरा भर भी डर और भय महसूस नही हो रहा. इस साल की अमरनाथ यात्रा हाई-टेक है. चलिए जानते हैं कैसे-
- यात्रा के रास्ते में पड़ने वाली इमारतें इस साल खाली रखी जा रही हैं. सीऐपीएफ की अतिरिक्त कंपनियां कंपनियों के लिए इनका इस्तेमाल यात्रियों और सुरक्षाकर्मियों के लिए किया जाएगा.
- यात्रा के रूट पे आधुनिक उपकरणों से नजर रखी जा रही है. यहां हाई डेफिनिशन सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं.
- यात्रा के रास्ते में तैनात सुरक्षाकर्मियों के वाहनों पर भी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. जो कंट्रोल रूम से रियल टाइम अपडेट और जानकारी साझा करते रहेंगे.
- यात्रा रूट को सुरक्षित रखने के लिए लगातार ड्रोन सर्विलांस हो रहा है. जम्मू कश्मीर पुलिस भी निगरानी का काम कर रही है. वहीं सीआरपीएफ ड्रोन तो सेना क्वाडकॉप्टर से निगरानी कर रही है. क्वाडकॉप्टर में माल्टिप्ल हाई डेफिनेशन कैमरा लगे होते हैं.
- इस वर्ष आरएफआईडी टैग हर यात्री वाहन और हर यात्री के लिए जरूरी रखा गया हैं. इससे यात्रियों के जत्थों समेत हर यात्री के मूवमेंट पर नजर रखी जा सकती है.
- इस वर्ष 15 अतिरिक्त कंपनियों के साथ कुल 40000 सुरक्षाकर्मी यात्रा में तैनात किए गए हैं जबकि जम्मू कश्मीर पुलिस के बीडीएस स्क्वाड समेत सेना के स्निफर डॉग्स और बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड्स की संखिया भी बढ़ाई गई है.
- स्टिकी बॉम्ब के खतरे को नजर में रखते हुए जम्मू कश्मीर पुलिस ने वाहन चालकों से अपने वाहन की लागातार निगरानी रखने की हिदायत भी जारी की है.
- सिटकी बॉम्ब की चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा इसरायली आधुनिक उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनका नाम गोपनीय रखने की सलाह दी गई है.
- हर साल की तरह इस वर्ष भी यात्रा को सुरक्षित कराने के लिए ट्रिपल लेयर सुरक्षा दायरा बनाया गया है. जिसमें पहली लेवल पर जम्मू कश्मीर पुलिस, दूसरी पर सीआरपीएफ और आईटीबीपी और फिर सेना को रखा गया हैं.
यात्रा के बेस कैंप बालटाल से शुरुआती पड़ाव दोमैल से पहाड़ी रास्तों पर यात्रों को सुरक्षित पवित्र गुफा तक पहुंचाने के लिए सीआरपीएफ की एमआरटी यानी माउंटेन रेस्क्यू टीम रखी गई है, जोकि यात्रियों को रास्ते के किस साइड में चलना चाहिए समय-समय पे बताती हैं. साथ ही यह टीम शूटिंग स्टोन्स से भी यात्रियों को बचाने में सहायक साबित होती है.
अमरनाथ यात्रा को हिंदू मुस्लिम भाई चारे की एक अहम मिसाल माना जाता हैं और इस यात्रा में घोड़े, पालकी समेत हर एक छोटी बड़ी जरूरत की चीज यात्रियों के लिए मुहैया कराने का श्रेय यहां के मुस्लिम समुदाय को दिया जाता है, ऐसी ही एक सुविधा हैं अमरनाथ यात्रा के जत्थे जैसे ही आगे बढ़ते हैं तो अब्दुल अहद नामी नामक शख्स की क्यूएसएस टीम फिर से इस बालटाल से दोमैल तक के रास्ते को साफ करते हैं. ताकी आने वाले जत्थों को किसी किस्म की समस्या से दोचार न होना पड़े.