Tue. May 30th, 2023
9 महीने के निचले स्तर पर पहुंची मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां, बढ़ती महंगाई का पड़ा दबाव

महंगाई से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर असर

पीएमआई आंकड़ों के अनुसार कारखानों से ऑर्डर और उत्पादन में जून में लगातार 12वें महीने बढ़ोतरी हुई हालांकि दोनों ही मामलों में विस्तार की दर नौ महीने के निम्न स्तर पर पहुंच गई है.

जून के महीने के दौरान भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (manufacturing sector) की गतिविधियां 9 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. हालांकि इसमें लगातार 12 महीने से बढ़त दर्ज हो रही है, सिर्फ बढ़त की रफ्तार धीमी हुई है. ये जानकारी आज जारी हुए सेक्टर के पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स यानि पीएमआई ( PMI) से मिली है. जानकारों की माने तो फिलहाल भू-राजनैतिक तनाव से बढ़ती महंगाई (Inflation) से लेकर रुपये में कमजोरी जैसे कई कारण हैं जो अर्थव्यवस्था पर दबाव बना रहे हैं. इसकी वजह से पीएमआई में कमी देखने को मिली है. हालांकि एसएंडपी ने पीएमआई आंकड़े जारी करने के साथ ये भी कहा कि चुनौती पूर्ण वातावरण में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में बढ़त काफी उत्साहजनक है भले ही इसमें थोड़ी सुस्ती देखने को मिली हो.

कहां पहुंची पीएमआई

एसएंडपी ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स यानि पीएमआई जून में गिरकर 53.9 हो गया, जो मई में 54.6 था. जून के पीएमआई आंकड़े लगातार 12वें महीने 50 से ऊपर रहे हैं. जो सेक्टर के लिए समग्र परिचालन परिस्थितियों में सुधार की ओर इशारा करते हैं. पीएमआई 50 से ऊपर होने का मतलब विस्तार होता है, जबकि 50 से नीचे का स्कोर गिरावट को दर्शाता है. एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में सहायक निदेशक (अर्थशास्त्र) पोलियाना डी लीमा ने कहा, 2022-23 की पहली तिमाही भारत के विनिर्माण उद्योग के लिए अच्छी रही है, इस दौरान कीमतों के बढ़ते दबाव, ऊंची ब्याज दरें, रूपये का अवमूल्यन और चुनौतीपूर्ण भूराजनीतिक परिदृश्य के बावजूद क्षेत्र में जुझारूपन देखने को मिला जो उत्साहजनक है. कारखानों से ऑर्डर और उत्पादन में जून में लगातार 12वें महीने बढ़ोतरी हुई हालांकि दोनों ही मामलों में विस्तार की दर नौ महीने के निम्न स्तर पर पहुंच गई. वृद्धि के पीछे मूल कारण मजबूत ऑर्डर हैं.

बढ़ती महंगाई ने बिगाड़े सेंटीमेंट्स

सर्वे के मुताबिक महंगाई संबंधी चिंताएं कारोबारी भरोसे पर लगातार हावी हो रही हैं और सेंटीमेंट्स 27 महीने के निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं. हालांकि, नौकरियों के मोर्चे पर, रोजगार लगातार चौथे महीने बढ़ा है. फिलहाल देश में महंगाई दर रिजर्व बैंक की तय सीमा के ऊपर बनी हुई है. जिससे केंद्रीय बैंक को दरें बढ़ाने का फैसला लेना पड़ रहा है. इससे ग्रोथ सुस्त होने की आशंका बन गई है. वहीं बढ़ती महंगाई से कंपनियों के मार्जिन पर दबाव बना है जिससे उन्हें कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. कारोबारियों को आशंका है कि कीमतें बढ़ने से मांग पर बुरा असर पड़ सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *