Wed. Mar 29th, 2023

आमतौर पर हमारा इम्यून सिस्टम हमें हार्मफुल बैक्टीरिया और बीमारियों से बचाता है। यह बाहरी बैक्टीरिया से लड़ाई कर उन्हें परास्त करता है। इम्यून सिस्टम के अच्छी तरह काम करने के कारण ही हम कई प्रकार के रोगों से अपने शरीर को बचा पाते हैं। कई बार इम्यून सिस्टम के गलत ढंग से कार्य करने के कारण यह अपनी ही कोशिकाओं को टार्गेट करने लगता है। यह अपने शरीर की कोशिकाओं को रोग उत्पन्न करने वाला (Pathogen) मान लेता है। इसके कारण कई बीमारियां हो जाती हैं। इस स्थिति को ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune disease) कहते हैं। पर क्यों होती हैं ये और इन्हें कैसे रोका जा सकता है, आइए जानते हैं विस्तार से। 

इनकी वजह से जोड़ों में दर्द, सूजन, रेड रैशेज, थकावट, बुखार आदि समस्याएं हो सकती हैं। ऑटोइम्यून डिजीज के लक्षणों की पहचान और इसकी रोकथाम के उपाय के बारे में जानने के लिए हमने बात की एनआईआईएमएस की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. मोनिका सिंह से।

महिलाएं होती हैं अधिक प्रभावित

डॉ. मोनिका सिंह कहती हैं, ‘पुरुषों की तुलना में, महिलाओं में संक्रामक रोगों के होने की संभावना कम होती है, लेकिन उन्हें ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा अधिक होता है। इसके पीछे गुणसूत्र (Chromosome) जिम्मेदार होता है। एक्स गुणसूत्र, जिसमें इम्यून सिस्टम से संबंधित कई जीन मौजूद होते हैं, आंशिक रूप से जिम्मेदार होते हैं। महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं, लेकिन उनमें ऑटोइम्यूनिटी विकसित होने का खतरा अधिक होता है।’

डॉ. मोनिका आगे बताती हैं कि महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं। महिलाएं एक्स-लिंक्ड वंशानुगत बीमारियों से इम्यून्ड यानी प्रतिरक्षित होती हैं। जब तक किसी महिला के पास एक एक्स क्रोमाजोम पर जीन की हेल्दी कॉपी मौजूद है, तब तक दूसरे एक्स क्रोमोसोम पर दोषपूर्ण (faulty) जीन होने के बावजूद उस महिला में आमतौर पर किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं होता है।

यही वजह है कि महिलाएं अक्सर पुरुषों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहती हैं। लेकिन दो एक्स गुणसूत्र ऑटोइम्यून विकारों के विकास की संभावना बढ़ा देते हैं। इससे जेनेटिक म्यूटेशन (Genetic Mutation), डिलीशन (Deletion) या डुप्लीकेशन (Duplication) की संभावना बढ़ जाती है। इससे जीन प्रोडक्ट फंक्शन और जीन एक्सप्रेशन लेवल में बदलाव आ जाता है। इसलिए महिलाओं में ऑटोइम्यून बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। 

क्या हो सकती हैं कॉमन ऑटोइम्यून डिजीज से

ऑटोइम्यून डिजीज के 80 से भी अधिक प्रकार होते हैं। आमतौर पर इससे रयूमेटॉयड अर्थराइटिस, सोरायसिस, सोरायटिक अर्थराइटिस, ल्यूपस जैसी बीमारियां होती हैं। कुछ महिलाओं में इसके लक्षण बहुत अधिक दिखाई पड़ते हैं, तो कुछ महिलाओं में बहुत कम। जेनेटिक्स, एनवॉयरमेंट और पर्सनल हेल्थ के कारण ऐसा होता है। ऑटोइम्यून डिजीज के कारण शरीर में कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

thakaan ke lakshan
अत्यधिक थकान का अनुभव करना हो सकता है ऑटोइम्यून डिजीज का लक्षण। चित्र:शटरस्टॉक

 थकान

जोड़ों का दर्द और सूजन

त्वचा संबंधी समस्याएं

पेट दर्द या पाचन संबंधी समस्याएं

बार-बार बुखार आना

शरीर के अंगों में सूजन

 क्या इनसे बचा जा सकता है? 

डॉ. मोनिका के अनुसार, ऑटोइम्यून डिजीज को होने से रोकना कठिन है। हालांकि बचाव के कुछ उपाय किए जा सकते हैं –  

  1. नियमित रूप से एक्सरसाइज करना

यदि आप रोज एक्सरसाइज और वॉकिंग करें, तो ऑटोइम्यून डिजीज के प्रभाव से बचने की संभावना हो सकती है।

  1. धूम्रपान से बचना

यदि आपको स्मोकिंग की आदत है, तो तुरंत यह नशा करना छोड़ दें। यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

  1. टॉक्सिंस को शरीर से बाहर निकालना

किडनी और लीवर टॉक्सिंस को शरीर से बाहर निकालते रहते हैं। आप भी फाइब्रस और एंटीटॉक्सिक फूड खाकर शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकाल सकती हैं।

  1. संतुलित आहार का सेवन करना

बैलेंस्ड डाइट लेने से कई समस्याओं से बचाव किया जा सकता है। हर हाल में प्रोसेस्ड फूड और डिब्बाबंद आहार से परहेज करें। ये शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।

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