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कोलकाता के दो पुरुष मॉडल प्रीतम घोषाल और अमित जैन ने एक जून से 30 जून तक चले एक कार्यक्रम प्राइड मंथ के दौरान साड़ियां पहनी और इस अवसर पर साड़ियों का कलेक्शन भी पेश किया.
साड़ी को प्रायः ही महिलाओं का परिधान माना जाता रहा है,लेकिन कोलकाता (Kolkata) के दो पुरुष मॉडलों साड़ी पहनकर चर्चा में हैं और इसे वह लैंगिग रूढ़िवादिता को चुनौती देना बता रहे हैं. कोलकाता के दो पुरुष मॉडल प्रीतम घोषाल और अमित जैन ने एक जून से 30 जून तक चले एक कार्यक्रम प्राइड मंथ के दौरान फोटो शूट में साड़ियों (Sarees) का कलेक्शन पेश किया, जिनमें ज्यादातर सफेद और काले तथा नारंगी और नीले रंग का उपयोग किया गया था. प्राइड मंथ में आयोजित विशेष फोटो शूट (Photo Shoot) पर घोषाल ने कहा, “हम नई पीढ़ी के पुरुषों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो आकर्षक परिधान पहनकर लैंगिक रूढ़िवाद और मर्दानगी के विचार को चुनौती देते हैं.”
यह पहल करने वाले देवरूप भट्टाचार्य ने कहा, “रूढ़िवादी लोग हमारे आसपास हर जगह हैं और हमें उनके साथ रहने पर मजबूर होना पड़ता है, लेकिन पुरुषों को एक खास तरीके से ही कपड़े क्यों पहनने होते हैं. इसका कोई जवाब नहीं है.”
फोटोशूट में साड़ी पहनकर उतरे पुरुष मॉडल
उन्होंने कहा कि प्राइड मंथ के अवसर पर आयोजित विशेष फोटो शूट में एक तरफ साड़ी की एक परिधान के रूप में विविधता को दर्शाया गया और दूसरी तरफ पहनने वाले कपड़े के विकल्प चुनने की स्वतंत्रता को रेखांकित किया गया. घोषाल ने प्राइड मंथ के अवसर पर आयोजित एक विशेष शूट में कहा, “हम फैशनेबल पुरुषों की नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ना चाहते हैं और मर्दानगी के पारंपरिक विचारों को चुनौती देना चाहते हैं.” उन्होंने कहा, “रूढ़िवादिता हमारे चारों ओर हर जगह मौजूद है और हम अक्सर उनके साथ रहने के लिए मजबूर होते हैं जैसे कि वे हमारी पहचान के लिए सहज हैं, लेकिन पुरुषों को एक निश्चित तरीके से कपड़े और व्यवहार क्यों करना पड़ता है, इसका कोई ठोस जवाब नहीं है.”
परुषों के परिधान के मुकाबले बताया ज्यादा आकर्षक
उन्होंने कहा कि प्राइड मंथ के अवसर पर आयोजित विशेष शूट में एक ओर परिधान के रूप में साड़ी की बहुमुखी प्रतिभा पर प्रकाश डाला गया है और पसंद की स्वतंत्रता को बरकरार रखा गया है कि एक व्यक्ति के पास कपड़े पहनने और अपनी इच्छानुसार खुद को व्यक्त करने की स्वतंत्रता है, यहां तक कि यदि यह उन परंपराओं से हटकर है जो समाज सामान्य रूप से लिंग विशिष्ट वेशभूषा से जोड़ता है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में जो सामने आया वह पुरुषों के साड़ी पहनने का एक सराहनीय चित्र है, जिससे वे सामान्य मर्दाना परिधान की तुलना में और भी अधिक आकर्षक लग रहे हैं.