Wed. Mar 29th, 2023
Rupee Vs Dollar: गिरते रूपए का आम आदमी पर क्या होगा असर? मंदी की ओर बढ़ रही दुनिया

गिरते रूपए का आम आदमी पर क्या होगा असर?

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग और दो साल से जारी कोरोना महामारी संकट का असर दुनियाभर के बाज़ारों पर साफ दिखाई दे रहा है. भारत में भी इसका असर देखा जा रहा है. अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले रुपया लगातार गिर रहा है.

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग और दो साल से जारी कोरोना महामारी संकट का असर दुनियाभर के बाज़ारों पर साफ दिखाई दे रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया में कभी भी एक बार फिर मंदी दस्तक दे सकता है. भारत में भी इसका असर देखा जा रहा है. अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले रुपया लगातार गिर रहा है. बुधवार को जब बाज़ार खुला तो शुरुआती कारोबार में रुपया टूटकर 78.98 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. डॉलर इंडेक्स में लगातार तेज़ी और महंगे क्रूड ऑयल की वजह से बढ़ता व्यापार घाटा यानि कारोबारी नुकसान रुपये को कमज़ोर कर रहा है लेकिन सबसे पहले देखते हैं साल 2022 के पहले 6 महीनों में डॉलर के मुक़ाबले रुपये का क्या हाल रहा.

2022 के पहले 6 महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया:

30 जनवरी 2022 $1 ₹75.05
28 फरवरी 2022 $1 ₹75.29
30 मार्च 2022 $1 ₹75.83
30 अप्रैल 2022 $1 ₹76.52
30 मई 2022 $1 ₹77.60
30 जून 2022 $1 ₹78.96

अब सवाल ये है कि लगातार गिरता रुपया, कहाँ जाकर रुकेगा ? जी हाँ. विशेषज्ञों की मानें तो डॉलर इंडेक्स की मज़बूती और महंगे क्रूड ऑयल की वजह से घरेलू करेंसी को दो तरफा मार झेलनी पड़ रही है, जिससे रुपया कमज़ोर होता जा रहा है. वहीं चिंता की बात ये भी है कि अनुमान के मुताबिक़ जुलाई के अंत तक रुपया गिरकर 79.5 के लेवल तक जा सकता है. कमज़ोर मैक्रो फ़ंडमेंटल्ज और दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों द्वारा ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी को इसकी वजह बताया जा रहा है.

रुपए के टूटने से किन किन चीज़ों पर इसका असर पड़ेगा, अब ये भी जान लेते हैं-

सबसे पहले कच्चे तेल के आयात पर मुद्रा के टूटने का असर होता है. भारत लगभग 80% कच्चा तेल आयात करता है. डॉलर के मुक़ाबले रूपए की कीमत 79 तक पहुँचने का मतलब है कि कच्चे तेल का आयात महंगा होगा जिसकी वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीज़ल के दामों में इज़ाफ़ा कर सकती हैं. तेल महंगा होने की वजह से ट्रांसपोर्टेशन कोस्ट बढ़ जाएगी जिसका सीधा असर आपकी थाली पर भी दिखाई देगा. सिर्फ घरेलू ही नहीं बल्कि आयात किए जाने वाले खाने के तेल की भी कीमतें भी बढ़ेंगी.

विदेशों से आयात किए जाने वाले छोटे से छोटे सामान पर रुपये के कमज़ोर होने का असर पड़ेगा. टीवी, फ़्रिज, मोबाइल फोन और बाक़ी इलेक्ट्रॉनिक आइटम पर लगातार टूटते रुपये का सीधा असर पड़ेगा. दरअसल, भारत में स्थित कई कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स के लिए इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स और पुर्ज़े आयात करती हैं. ऐसे में आयात महंगा हुआ तो इन सभी सामानों के दामों की बढ़ोतरी नज़र आएगी.

सिर्फ भारत में रहना ही नहीं बल्कि विदेश घूमना-फिरना या पढ़ने जाने के लिए भी आपको अपनी जेब और ढीली करनी पड़ सकती है. डॉलर के सामने रुपया कमजोर होने के बाद ज्यादा फीस, हॉस्टल बिल के लिए अब और पैसे खर्चने पड़ेंगे. दूसरी तरफ विदेशों में ज़्यादातर डॉलर में ही भुगतान होता है जिसके लिए करेंसी कन्वर्जन में भी आपको ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे.

रुपए के टूटने का असर भारत के इंपोर्ट बिल पर भी पड़ेगा. जहां-जहां भारत डॉलर में पेमेंट करता है वो महंगा हो जाएगा. यही नहीं, अब कॉर्पोरेट हाउस के लिए भी विदेशी कर्ज लेना मुसीबत बन जाएगा. अर्थव्यवस्था के कई सेक्टर भले ही रीटेल हो या रियल्टी – ज़्यादातर विदेशी कर्ज पर निर्भर रहते हैं. भारतीय कंपनियां ईसीबी के तहत सीधे तौर पर कम ब्याज दरों में विदेशी कंपनियों से कर्ज उठा सकती हैं जिसका भुगतान डॉलर में करना पड़ता है. इसकी वजह से जब रुपया डॉलर के मुक़ाबले कमजोर होगा तो कंपनियों को ज़्यादा ब्याज चुकाना होगा, जिससे कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स के दामों में इज़ाफ़ा कर सकती हैं.

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