अपनी प्राकृतिक बनावट से बेहतर कुछ भी नहीं है। इसके बावजूद कुछ महिलाएं अपने स्तनों के आकार में बढ़ोतरी या बदलाव के लिए ब्रेस्ट इंप्लांट सर्जरी का सहारा लेती हैं। और इनकी संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। पर कई बार ये सर्जरी घातक भी हो सकती है। ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब सिलिकॉन इंप्लांट के फटने या इंप्लांट में से सिलिकॉन का रिसाव होने की वजह से ब्रैस्ट कैंसर को लेकर चिंताएं सामने आयी थीं। इसलिए अब भी बहुत सी महिलाएं जो ऑगमेंटेशन सर्जरी कराने का इरादा रखती हैं, ब्रैस्ट कैंसर की आशंका के चलते चिंताग्रस्त रहती हैं। यहां हम उन जोखिमों के बारे में बताने जा रहे हैं जो गलत ब्रेस्ट इंप्लांट (Breast implant surgery) आपको दे सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के बारे में क्या कहते हैं आंकड़ें
सिलिकॉन इंप्लांट्स से महिलाओं को स्तन कैंसर होता है, इस बारे में फिलहाल कोई पुख्ता प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। डीचॉल्मोकी द्वारा कराए गए सर्वे में 265 सर्जन्स और 10941 मरीजों को शामिल किया गया। ब्रैस्ट इंप्लांट करा चुकी किसी भी महिला में कैंसर नहीं पाया गया। ऐसे अधिकांश अध्ययनों से यही निष्कर्ष निकाला गया है कि इन इंप्लांट्स की वजह से स्तन कैंसर की फ्रीक्वेंसी में कोई बढ़ोतरी नहीं होती।

पर कई शोधों से यह भी सामने आया है कि ब्रैस्ट इंप्लांट्स कराने वाली महिलाओं में एनाप्लास्टिक लॉन्ग सैल लिंफोमा ( ALCL) की आशंका अधिक होती है। एलएलसीएल स्तन का कैंसर नहीं होता। यह दरअसल, इम्युन सिस्टम जिसे लिंफेटिक सिस्टम भी कहते हैं, का कैंसर होता है। इसका कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं है कि ब्रैस्ट इंप्लांट्स कराने वाली महिलाओं में एएलसीएल की आशंका क्यों बढ़ जाती है।
जरूरी है ब्रेस्ट इंप्लांट मैटीरियल के बारे में जानना
इंप्लांट में सिलिकॉन शैल होता है और इस इंप्लांट के भीतर सैलाइन या सिलिकॉन कोहेसिव जैल भरा होता है। इंप्लांट की बाहरी सतह दो प्रकार की होती है – टैक्सचर्ड या स्मूद। कुछ साल पहले तक टैक्सचर्ड इंप्लांट्स ज्यादा लोकप्रिय थे, क्योंकि इनके हिलने-डुलने या त्वचा को छीलने/काटने की संभावना आमतौर पर नहीं थी। लेकिन अब एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये टैक्सचर्ड इंप्लांट महिलाओं के इम्युन सिस्टम के साथ इस प्रकार की छेड़ाखानी करते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है।
एएलसीएल एक दुर्लभ किस्म का कैंसर है। यदि किसी ने ब्रैस्ट इंप्लांट्स करवाएं हैं, तो भी उन्हें एएलसीएल की आशंका काफी कम होती है। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि इंप्लांट लगवाने वाली 50,000 महिलाओं में से एक को यह रोग हो सकता है।
इन लक्षणों पर ध्यान देना है जरूरी
- यदि आपको नई सूजन दिखायी दे
- स्तन के आकार में कोई बदलाव दिखे
- स्तन में या उसके आसपास दर्द हो जो नियमित रूप से लगातार बना रहे
- आपके स्तन में कड़ापन या कोई नया घाव
आप इन लक्षणों की नियमित रूप से स्वयं जांच कर सकते हैं। यदि किसी ने टैक्सचर्ड इंप्लांट लगवाया है तो एक्सपर्ट्स इन्हें निकालने की सलाह नहीं देते। लेकिन अगर किसी को इन्हें लेकर काफी चिंता है, तो वे इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह कर सकती हैं। यदि आपको उपर्युक्त में से कोई भी लक्षण दिखायी दे, तो आपको निश्चित रूप से अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा करना चाहिए।

चलते-चलते
इसलिए, यह कहा जा सकता है कि सिलिकॉन इंप्लांट से ब्रैस्ट कैंसर की आशंका नहीं बढ़ती और न ही यह इसके लिए जिम्मेदार है। लेकिन टैक्सचर्ड ब्रैस्ट इंप्लांट्स लगवा चुकी महिलाओं में एएलसीएल, जो कि इम्यून सिस्टम का कैंसर है, होने की संभावना अधिक होती है।
यदि कोई ब्रैस्ट इंप्लांट्स की मदद से ब्रैस्ट ऑगमेंटेशन करवाने की इच्छुक है, लेकिन साथ ही, कैंसर को लेकर भी चिंताग्रस्त है, तो ऐसी महिला को प्लास्टिक सर्जन से सलाह करनी चाहिए और ब्रैस्ट कैंसर तथा सिलिकॉन इंप्लांट के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करनी चाहिए।
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